गझल |
गझल |
उपरा |
गझल |
राहिले माझेतुझे नाते घसाऱ्यासारखे |
चित्तरंजन भट |
गझल |
... किती लाचार व्हावे ? |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझलचर्चा |
आह को चहिये एक उम्र असर होने तक - अर्थ हवा आहे |
अजय अनंत जोशी |
गझल |
एक पाखरु फांदीवर... |
वैभव देशमुख |
गझल |
जे जसे आहे तसे स्वीकारतो मी शेवटी... |
बेफिकीर |
गझल |
...काळजी नको ! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
तू भेटली नव्हतीस तोवर |
मिल्या |
गझल |
किती सोपे मला हे प्रेम करणे वाटले होते... |
बहर |
गझल |
रात्रभर |
पुलस्ति |
गझल |
पुन्हा सत्य स्वप्नांस तुडवून गेले |
गिरीश कुलकर्णी |
गझल |
बोचरे वारे |
विजय दि. पाटील |
गझल |
तुझे ठसे... |
ज्ञानेश. |
गझल |
हा जुगार |
केदार पाटणकर |
गझल |
निराशा |
आदित्य_देवधर |
गझल |
बुरखा |
विसुनाना |
गझल |
सांग कोठे माणसा आहेस तू |
चित्तरंजन भट |
गझल |
मला वेळ नाही |
अलखनिरंजन |
गझल |
आता |
मिल्या |
गझल |
आता माझी एक ओळही मलाच भावत नाही |
भूषण कटककर |
गझल |
....सारे मला मिळाले !!! (गझल). |
supriya.jadhav7 |
गझल |
...शून्य माझी कलमकारी !! |
प्रदीप कुलकर्णी |
गझल |
खेळणे |
बेफिकीर |
गझल |
केवढे चालणे हे मजल दरमजल..... |
बेफिकीर |
गझल |
फुलासारखी... |
ज्ञानेश. |